Stubble burning reduced in Haryana, why cases increased in Punjab : हरियाणा में पराली जलना कम हुआ तो पंजाब में क्यों बढ़े केस
Stubble burning reduced in Haryana, why cases increased in Punjab
Stubble burning reduced in Haryana, why cases increased in Punjab : साल के आखिरी महीनों में दिल्ली एनसीआर (NCR) में जब वायु प्रदूषण बढ़ता है तो लोगों की शामत आ जाती है। देश की राजधानी के आकाश में धुएं की मोटी परत (thick layer of smoke) जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त कर देती है वहीं पंजाब और हरियाणा समेत चंडीगढ़ में भी सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह खेतों में धान की कटाई के बाद निकले अवशेष यानी पराली को जलाना है। पराली जलाना किसानों के लिए जहां मजबूरी है वहीं राजनीतिक दलों और सरकारों के लिए एक-दूसरे पर तोहमत लगाने का भरपूर अवसर। दिल्ली में इस समय आम आदमी पार्टी की सरकार है, वहीं पंजाब में भी उसी का शासन है। आजकल पराली जलाने से हुए प्रदूषण (pollution) के लिए दिल्ली सरकार हरियाणा की खट्टर सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है, लेकिन वस्तुस्थिति कुछ और ही सामने आ रही है। सच्चाई यह है कि पंजाब में पराली भरपूर जल रही है।
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अमेरिका (Amerika) की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा की ओर से जारी सेटेलाइट तस्वीरों (satellite photos) के हवाले से सामने आ रहा है कि हरियाणा में पराली जलाने के मामले घटे हैं, इसका कारण राज्य सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदम हैं। सरकार लगातार किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। हालांकि इसके विपरीत पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं उसी तरह जारी हैं, यहां किसी प्रकार की रोक नजर नहीं आती। राज्य में पराली जलने की लाइव तस्वीरें बता रही हैं कि राज्य सरकार की ओर से की जा रही कोशिशें फलीभूत नहीं हो रही। हरियाणा सरकार के दावे के अनुसार प्रदेश में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में इस वर्ष 25 फीसदी की कमी आई है, यानी बेशक एकाएक ऐसी घटनाएं पूरी तरह बंद नहीं हुई हैं, लेकिन इनमें कमी जरूर आई है। अगर सरकार के प्रयास जारी रहे तो हो सकता है अगले वर्ष तक यह प्रतिशत और ज्यादा बढ़ जाए। अब अचरज की बात यह है कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अगर कम हुई हैं तो पंजाब में बढ़ गई हैं। पंजाब में 20 फीसदी की बढ़ोतरी (20 percent increase in Punjab) देखी गई है। जाहिर है, पंजाब सरकार को अपने प्रयासों में और तेजी लेकर आनी होगी, क्योंकि अगर यही हाल रहा तो न पंजाब की आबोहवा सांस लेने लायक रहेगी और न ही दिल्ली एनसीआर की।
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हरियाणा बीते वर्षों में एक प्रयोगशील राज्य (Haryana became a practical state) के रूप में उभरा है। कौन यकीन कर सकता है कि जहां कभी खेती बाड़ी होना ही एकमात्र काम समझा जाता था, वह प्रदेश आजकल विज्ञान और तकनीक का गढ़ भी बन चुका है। ऐसा राजनीतिक इच्छा शक्ति से होता है, मौजूदा राज्य सरकार की ओर से जहां जमीन के पानी को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं अब वाटर अकाउंट डाटा तैयार करने का भी सरकार ने निर्णय लिया है। इस अकाउंट के तहत नदियों और अन्य जल स्रोतों से मिले पानी का हिसाब रखा जाएगा। यह डाटा तैयार करने की वजह आगामी वर्षों के लिए पानी के उचित प्रबंधन की योजना बनाने की है। धरती पर पानी की उपलब्धता (availability of water on earth) कम से कमतर होती जा रही है। प्रत्येक देश और राज्य के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह ऐसे कदम उठाए जिससे प्रकृति और उसके संसाधनों का अपव्यय होने से रूके। सरकार उन किसानों को सब्सिडी प्रदान करती है जोकि धान की बजाय दूसरी मौसमी फसलों को उगाते हैं। बदलते दौर में किसानों को भी सरकार के साथ चलना होगा, क्योंकि मिट्टी,पानी और मौसम लगातार बदल रहे हैं, अगर उन्हें संभाला नहीं गया तो फिर आने वाली पीढिय़ों के लिए प्रकृति के अनमोल उपहार महज किताबी ज्ञान बनकर रह सकते हैं।
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पराली जलाने के संबंध में हरियाणा सरकार का यह प्रयास सराहनीय (This effort of Haryana government is commendable) है कि उसने 24 तरह के उद्योगों के साथ टाइअप करके उनसे पराली खरीदने की सहमति हासिल की है। इसके लिए हर जिले में कमांड एरिया खोला जाएगा, जिनके जरिए पराली की खरीद होगी। पराली ऐसा अवशेष नहीं है, जिसे जलाया ही जाना चाहिए, यह बहुत उपयोगी पदार्थ जिसे बायो गैस के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, वहीं इथेनॉल प्लांट (ethanol plant) में भी प्रयोग लाया जा सकता है। सरकार ने पराली को एमएसपी पर खरीदने की योजना बनाई है, वहीं इसके प्रबंधन के लिए एक हजार रुपये भी दिए जा रहे हैं। गौशाला में पराली देने पर पंद्रह सौ रुपये दिए जाते हैं। दरअसल, ऐसे ही अनेक प्रयासों से अब पराली का जलना जहां कम हुआ है, वहीं प्रदूषण की समस्या का समाधान भी हो रहा है। हालांकि इन प्रयासों को और सघन एवं निरंतर किए जाने की आवश्यकता है, यह कार्य मौसमी नहीं है। हरियाणा में पराली जलने का एक भी मामला सामने न आए तो यह अनूठी कामयाबी होगी। हालांकि पंजाब सरकार को भी अपने प्रयास तेज करने होंगे।
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